साले बाईस ए सदी ए इक्कीस, ख़ुर्रम ख़ैरमक़दम!
ऐ साल ए नौख़ेज़, मुबारक हों हमें आपके क़दम
बख़्श दें हमें वो सब अब तक था जिसका अदम।
बहुत देखी है तबाही , बहुत घर जले हैं अब तक
ऐसा कुछ करदें सब चलने लगें , होके हम-क़दम।
क्या कुछ ज़ियादह माँग रहा हूँ मेरे मेहरबाँ साथी
यही तो माँगा है, क़दम मिलें तो हों साबित-क़दम।
क्या हर्ज़ है कि सारे शिकवे गिलाओं को छोड़के
हर कोई गले मिलने लग जाए सबसे, दम ब दम।
हर किसी मज़हब का, सारे जहान में, मेरे हमदम
एक ही तो ख़ालिक है जिसके हैं हम सभी ख़दम।
सब को दस्तरस हों ख़ुशबू और खुशियों के मंज़र
अहले दुनिया को दस्तयाब हों नायाब दम-क़दम।
ख़ुशामदीद= स्वागत है। ख़ैरमक़दम= शुभ आगमन।
साले बाईस ए सदी ए इक्कीस= इक्कीसवीं सदी का
बाईसवाँ साल। ख़ुर्रम= खुशनुमा।
साल ए नौख़ेज़= नव वर्ष। अदम= अभाव।
हम-क़दम= साथ साथ। साबित-क़दम= द्रढ़।
दम ब दम= हर पल। ख़ालिक= स्रष्टा।
ख़दम= ख़ादिम। दस्तरस= पहुँच में होना।
अहले दुनिया= दुनिया के लोग। नायाब= अनोखा।
दस्तयाब= प्राप्त। दम-क़दम= स्वास्थ्य और शक्ति।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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