Popular Posts

Total Pageviews

Wednesday, April 19, 2023

Hi Akshat!

Happy Birthday!

As the sun  rises over the  bay
I wish  you a  happy  birthday! 
Be like the sun, profound and
Bright, as it returns every day!

It's a  very pleasant  morning
I see three jetskis  skimming!
I count the returns of the day
The sun keeps up , mounting!

Keep promises , seek the  sun 
Life is but , a throb of the sun!
What's given, returns twofold
Be thankful to  the rising  sun!

Bless you!
Nana

Tuesday, April 18, 2023

न यादें भुलाना!

मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना 
सब  कुछ  भुलाना, न  यादें  भुलाना।

वो तितली का उड़ना
वो बुलबुल का गाना 
वो सावन का मौसम  
वो बारिश का आना 
वो  झूले   पे   पैंगें   बढ़ाते  ही  जाना 
आख़िर की डाली को छूकर के आना
मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना 
सब  कुछ  भुलाना, न  यादें  भुलाना।

बहता हूँ जैसे ,  नदिया का पानी 
चेहरे पे लिखी  है , मेरी  कहानी 
मुझे ढूँढ ने की , ज़रूरत  नहीं है 
मेरे  गीत  दे  देंगे , मेरी  निशानी।
अगर याद आऊँ तो आना, बुलाना 
ये  यादें  ही  तो  है  मेरा   ख़ज़ाना
मुझे छोड़ जाना न दिल को दुखाना 
सब  कुछ  भुलाना, न  यादें  भुलाना।

मुझे  चाहिए मेरी, यादों की दुनिया 
नदी  का  किनारा, किनारे  पे नैया
हथेली पे  गाँठें  नाविक  की  छूना
मिला फ़िर वो कैसे गले से खिवैया।
वो  आँखों  में   दो   मोती  उतरना 
वो जाते हुए भी मुड़ कर के आना 
मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना 
सब  कुछ  भुलाना, न  यादें  भुलाना।

अगर गीत में मेरे कुछ भी रवानी 
कहने को ग़र है, कुछ भी कहानी 
मुझे  छोड़  देना , नदिया  किनारे 
वहीं ढूँढ लूँगा , मैं अपनी निशानी।
न नम आँखें करना, न चेहरा छिपाना
कुछ  भूली  बिसरी  सी  बातें  बताना 
मुझे छोड़ जाना न दिल को दुखाना 
सब  कुछ  भुलाना, न  यादें भुलाना।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

Friday, April 7, 2023

आलोक

जैसा नाम है  वैसा  काम किया
आलोक ने आलोकित हो किया 
टिक ना  पाई चादर ज़ुल्मत  की
 कोने कोने को ताबिन्दा किया।
जो किया वो पूरे मन से  किया 
जो किया वो सबके लिए किया 
बढ़ चढ़ के सबका  मान किया।

जब अवध के ईशने याद किया 
ऊषा  का  आकर  पान  किया 
सूनी गोदी भरदी माँ की , और
आलोकित  हो,  निदान  किया।
जो अद्भुत था  वो काम  किया
जैसा नाम  है वैसा  काम किया 
आलोक ने आलोक फैला दिया।

हर साल का हर दिन याद रखा
ग़फ़लत में न कोई, लमहा रखा
आज  पूरे  हुए हैं  बावन  बरस
हर दिन को दिवाली जैसा रखा।
वारिसाना  हक़,  पैवस्त  किया
जैसा नाम है  वैसा काम  किया 
आलोक ने आलोक लुटा दिया।

ज़ुल्मत=अँधेरा। ताबिन्दा=रोशन।
वारिसाना हक़ पैवस्त किया=
उत्तराधिकारी के फ़र्ज़ का निर्वाह किया।

बधाई हो 
अजित सम्बोधि।

Thursday, April 6, 2023

हे हनुमान !

हे  हनुमान हे  क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान 
जो भी लेता तुम्हरा  नाम 
बन जाता उसका है काम
बढ़ जाता उसका है मान
हे हनुमान हे क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।

हे हनुमान हे दयानिधान
दे दो मुझको  ऐसा ज्ञान
मेरी साँसों में रम जाओ 
लग जाये बस  तुम्हरा  ध्यान 
दिन और रात हों एक समान
हे हनुमान  हे  क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।

हे हनुमान करदो विधान
मुझको  दे दो ये  वरदान
जब भी याद करूँ मैं मन में 
बस जाओ आकर  नैनन में 
नयन मूँद, कर लूँ मैं ध्यान 
हे हनुमान  हे  क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि

Saturday, April 1, 2023

God winks!

It's helpful to divide life  into two segments 
In order to know better, both the fragments. 
Everyone is  familiar with sensory scenario
But the other relates to divinized moments!

In everybody's life , there may come a point
Which may turn out to be , the tipping point!
When there's a sudden change of the idiom,
Everything takes on a new hue at this point!

From the confined to the open, it's one step
But this one step takes you to the doorstep
Of the infinite! You become silent, and then
You  want to swing  and  sing, rap and  clap!

As if engulfed in a smirr of nacterean drinks
A sort of a líghted ambience, into you, sinks
Synchronicity  unfolding? Unsolicited  boon?
God winking? Yes, you are right! God  winks!

Om Shantih 
Ajit Sambodhi