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Thursday, February 23, 2023

om namah shivaya

That which is beautiful, is true
And that which is true is Shiva!
The whole cosmos is dancing
And that is the dance of Shiva!

That which we see as invisible
If it suddenly becomes, visible!
We will see another dimension
That is all together, formidable!

What I say isn't wishful thinking 
Though hard, it's not impossible!
Lots of mystics have achieved it
Prior to knowing it was possible!

Mystics are rare, there's no doubt 
But they're everywhere and about!
Don't imagine they look  different
Their idiom is different, no doubt!

om namah shivaya 
ajit sambodhi 

Saturday, February 18, 2023

सत्यम शिवम् सुंदरम।

शिव को नमन है , ये दुनिया चमन है 
शिव की है ये सैरगाह
प्यार की ये डगर है, ख़ूबसूरत सफ़र है 
है दिलकश पनाहगाह
है जोशिश जश्नगाह।

नफ़रत के लिए दिल में फ़ुरसत नहीं 
उल्फ़त की रखते निगाह
सभी मिलके यहाँ पे रहते रहें 
सबको मिलती यही है सलाह
चाहे शाम हो या हो पगाह।

बदज़ुबानी करें ना, बदगुमानी करें ना
किसी की भी निकले न आह
जियें सब अमन में, अपने वतन में 
न किसी का भी घर हो तबाह
प्यार की मिले सबको ही छाँह।

ज़िन्दगी क़ीमती, मुस्तक़िल भी नहीं 
क्यों करे कोई किसी से भी डाह
बाँटें मुस्कान, होंए पूरे अरमान
रोशन हो हर एक राह
चमकें मेहर ओ माह।

जो शिव हैं वो सुन्दर हैं, बाहर हैं अन्दर हैं 
शिव ही हैं सबके गवाह 
सबसे नाता है उनका, काशी ही क्यों 
हर आँगन पे उनकी निगाह
सबकी पकड़ी उन्होंने है बाँह।

जोशिश=full of excitement. पगाह=सुबह।
मेहर ओ माह= सूरज और चाँद।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

Friday, February 3, 2023

आदऽऽमियत!

जाननी है हक़ीक़त तो बढ़ानी पड़ेगी , सलाहियत
मिटानी है नफ़रत तो दिखानी पड़ेगी , असलियत
भरम के सहारे तो बहुत जी लिये हैं , ज़िन्दऽगानी
अब कुछ ऐसे कर लें कि पा जाऐं , आदऽऽमियत।
 
बस एक तमन्ना है कुछ ऐसी हो जाए मशिऽऽय्यत
फ़िरसे सामने आ जाये वही पुरानी सी रिवाऽऽयत
जब इन्साँ होता था इन्साँ से रूबरू  तो लगता था
जैसे रब ने दी हो फूलों को खिलने की हिदाऽऽयत।

वो भी तो ज़िंदगी थी , मिलकर के करते थे इबादत
एक की दूसरे पर बरसती रहती थी हरदम, इनायत
दिवाली पर उनके यहाँ भी जलाया करते थे दीपक
मीठी ईद पे सेवैंय्याँ आती थीं, बतौर रस्मो रिवायत। 

कहाँ छिप गए वो शब ओ रोज़, वे जो थे मेहरबान
हमारे राज़दान, हमारे क़द्रदान, नज़्म ओ निगहबान
क्या चन्द दिनों के लिए ही आये थे बनकर मेहमान 
हम तो समझा करते थे, वो ही तो हैं हमारे मेज़बान!

सलाहियत= flair. मशिय्यत=God's will.
शब ओ रोज़ = रात और दिन।
नज़्म ओ निगहबान= poetry and caretaker.

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।