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Sunday, July 23, 2023

Poet saint Namdev & his love bird

Namdev, the saint, had a word

For chatak , the legendary bird

Who drank only the water, that

Rohini   nakshatra   conferred!!


He called the chatak, a love bird

For the  bird  showered  love  on 

 rohini nakshatra by defying own

Thirst, to get a drop of sky wizard!


Namdev was no less a lover, for

It was Vitthal he always sang for.

He lived all life, on the remnants 

Of offerings, made to Vitthal lore!


Namdev  sang  the  Vitthal  lore 

For  the  Lord stood  at the door 

Of His devotee , as long  as  he

Attended to his old parent’s sore!


Devotee’s devotee? That’s Vitthal !

Shall I call him , Namdev’s Vitthal ?

Chatak’s love for rohini nakshatra

Is Namdev’s template for his Vitthal !


Om Shantih 

Ajit Sambodhi

Sunday, July 16, 2023

न समझ पाया मैं

नफ़रत की ख़िज़ाँ में , मुहब्बत की बहार है 

दिल से दिल को मिलाना, सबको दरकार है 
मालिक ने बख़्शी ज़िन्दगी, उसका करम है 
सफ़र में मिल कर चलें , मिल गया दयार है।

क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेंगे?
खाली हाथ आये थे और यों ही चले जाऐंगे 
फ़िर क्यों ना मुहब्बत से रहना सीख लें हम
तभी न प्यार की यादें, लेकर के सब जायेंगे?

छोटी सी ज़िन्दगी है, क्या इसे लड़के गुजारें?
एक दूसरे की ज़िन्दगी , तबाह करके गुज़ारें?
हम इन्सान हैं , इतना तो सभी कर सकते हैं  
आइन्दा से हर लमहा, यादगार बनाके गुजारें?

एक राज़ है जो , अभी तक न समझ पाया मैं 
वक्त कम ही रहता है क्यों , न समझ पाया मैं 
लोगों के पास तो वक्त है, कितना लड़ लेते हैं?
कैसा करिश्मा है लड़ने में , न समझ पाया मैं! 

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि

Sunday, July 9, 2023

तुम्ही!

तुम्ही  हक़ीक़त , तुम्ही  सदाक़त

तुम्ही से  दुनिया मेरी  चल  रही है।
जिधर देखता हूँ, उधर तुम ही तुम 
तुम्हारी रफ़ाक़त से, ये चल रही है।

बाहर भी तुम हो , अन्दर भी तुम 
अजब दास्तान है चले जा रही है।
किसी को ख़बर तक नहीं हो रही 
चुपके से पल पल चले जा रही है।

बाहर में भी तो तुम्हारी ही दुनिया 
अन्दर ही फ़िर क्यों मिलते रहे हो?
कैसी ये तुमने  क़सम खा रखी है 
छिपके हमेशा  क्यों मिलते रहे हो?

मुझको तो तुमने  उजागर रखा है 
ख़ुद को मगर क्यों छुपाके रखा है?
किसी को ये तो  ख़बर ही  नहीं है 
मेरी ही पलकों में छुपा के  रखा है!

सदाक़त = the truth. रफ़ाक़त = साथ ।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

Tuesday, July 4, 2023

यही तो बात है!

 मेरा हाल तो उन्हीं से पूछलो, वो ही बता देंगे 

जो कहते थे ज़िन्दगी भर का प्यार सौंप देंगे।

मैंने कहा था तुम तो अपने दर्द मुझे सौंप दो 
उदासी छू होगी, और हम मुस्कुराया करेंगे।

वो मुस्कुराहट कैसी जिसमें दर्द न छिपा हो
दर्द के अलावा, मुहब्बत का सुबूत क्या देंगे?

वादे इंसान करते हैं, फ़ैसले क़िस्मत लेती है 
हम अपना किरदार बदस्तूर, निभाये चलेंगे।

वक्त के सामने शक्लो सूरत बदल जाती है
ये हमारी फ़ितरत है ,  सीरत न बदलने देंगे।  

बात करने के लिए तो बस ख़ामोशी चाहिए 
रूहानी गोश तो सिर्फ़ ख़ामोशी सुन  पायेंगे।

उनकी मेरी ख़ामोशी एक, ख़्यालात एक हैं 
मसला ये है कि, हालात क़रीब न आने देंगे।

मुहब्बत एहसान समझ कर की नहीं जाती
आप मुहब्बत करेंगे और कुछ न कर पायेंगे। 

हम भी एक वक्त किसी के ख़ुदा रह चुके हैं 
जो फ़र्ज़ बनता है , उसे ताउम्र निभाते रहेंगे ।

तबाही भी मुहब्बत का किरदार निभाती है 
इसी से तो मुहब्बत करने वाले नज़र आयेंगे।

जिनका साथ दरकार था, वो तो नहीं आयेंगे
ख़िज़ा गुज़रने पे तो पत्ते बहार लेकर आयेंगे?

सब कुछ बिखर गया, कुछ भी तो बचा नहीं 
क्या ये एहसास भरे पन्ने, चैन से जी लेने देंगे?

सज़ा देने वाले ने कोई गुनाह न किया हो तो
ऐ ज़िन्दगी , हम कोई भी सज़ा हो , सह लेंगें।

जहाँ साथ ज़रूरी था, अकेला ही चल रहा हूँ 
साया बरकरार है, उसी से महक लिया करेंगे। 

रेत जैसी ज़िन्दगी थी, बिखरना ही नसीब था
रूह को मना लेंगे, बातें बनेंगी, उन्हें सह लेंगे।

इत्मीनान से रहें, भरोसा रखें, कह देना उनसे
रूह बनके आऐं, मेरे शाने पे सिर रख सकेंगे।

गोश=कान। शाना=कंधा।

यही तो बात है 
अजित सम्बोधि।

Sunday, July 2, 2023

matrika, the impromptu guru!

 I bow to matrika,the mother inimitable 

Divinely ordained, being indispensable
She is omniscient , being conscionable!
And fashions an existence , illlimitable!

She was there,  prior to  the singularity 
Singularity ? The signature of plurality?
Yes , she is the  sound of  every  silence
As also the  creatrix of  all  eventuality!

How can creation be  sans the  creatrix?
It's all because of her, everything clicks!
Ab initio , she is immortal & inscrutable
Not replaceable, use whatsoever, tricks!

Matrika is woven into  the cosmic fabric
Whole multiverse runs from her  magic!
Who can ever subsist without a mother?
Rejoice friends, it's  time to be ecstatic!!!

Matrika mothers  the  universes!
Don't be scared of life's reverses!
Just go inside and become silent
Meet her there , she  converses!!!

Don't you imagine  I'm talking  voodoo
Matrika is the impromptu cosmic guru
We got to be vigilant  in being  mindful 
Matrika principle is the principle true!!

Om Shantih 
Ajit Sambodhi