नफ़रती दुनिया में एक लफ़्ज़े मुहब्बत सुनाने को।
कितनी बदनसीबी है, कोई तैयार नहीं समझने को
कोई मारे न किसीको,क्या दिक्कत इसमें किसीको?
वो तो नहीं झुका तुम्हारे आगे, ख़ुदा के कहने पर भी
तुमको क्या हो गया कि सजदे करते हो इब्लिस को?
कुछ तो सोचा होता ज़िन्दगी कितनी बेशकीमती है
बख़्श ने वाले की अमानत है सम्हाल कर रखने को।
अपना ज़मीर कहाँ खो गया, ख़्याल तो किया होता
किसी की ज़िन्दगी लेलें, किसने दिया ये हक हमको?
कैसे हाशिए पर आ गया तहम्मुल कोई तो बताए
कौन कैसे ग़ैर है, मन हुआ आज जिसे मारने को?
कहाँ गया वो बरादराना सुलूक, आपसी भाईचारा?
जो इस जहान में अपना न हो, ज़रा बतादो मुझको?
फ़ेहरिस्ते वारिसान साथ लिए फिरते हैं हर लम्हा वो
जो न जानते हैं ख़ुद को, ना ही पहचानते हैं ख़ुद को।
जानना चाहते हो ख़ुद को तो आज लगा लो शाम्भवी
होयेंगी सब हिमाकतें तुम्हारी सुपुर्द आज ही शिव को।
फ़िर समझ में आयेगा, जीना कहते जिसे, वो क्या है
अरे आज ही दे डालो सारा बोझ अपना नटराज को।
जो शिव है वही सुन्दर है, बता दो तुम जो शिव नहीं है
अरे सब मिल जाएगा तुम्हें माँग लो बस एक शिव को।
सुखनवर= शायर। इब्लिस= शैतान का शुरुआती नाम।
जब ख़ुदा ने उसको आदम के आगे prostrate करने
को कहा तो उसने नहीं माना। तहम्मुल= सहनशीलता।
फ़ेहरिस्ते वारिसान= उत्तराधिकारी होने की list.
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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