उस को कहते रक्षाबंधन
एक धागा क्या बाँध दिया
मन महक उठा जैसे चन्दन।
साँस बनी एक धागा है
गुपचुप छुपकर बाँधा है
जीवन को ही बाँधा है
फ़िर भी उसको साधा है।
प्यार भी तो एक बंधन है
प्यारा सा गठबंधन है
नि:शब्द सही आवेदन है
एक पूजा है और वंदन है।
आकाश ने ढकके रक्खा है
पूरे ख़याल से रक्खा है
प्यार की रिदा ओढ़ा दी है
बंधन में खोल के रक्खा है।
बंधन भी है , रंजन भी है
द्वैत का करता भंजन भी है
सब करता , नहीं भी करता
कैसी माया , निरंजन भी है।
रिदा=चादर।
शिव शम्भो
अजित सम्बोधि।
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