मधुर मधुर सा गीत सुनाके, दीवाली को आज मनालें।
छोटा सा ही यह जीवन है, नहीं यहाँ पर चिरजीवन है
मन के भेद मिटा के आज, सबको अपने गले लगा लें।
दीप सजा लें।
क्या पाया अब तक लड़कर , देखें तो थोड़ा हटकर
नादानी में झगड़ा करते , हाथ मिला कर एका कर लें।
मैं पहल करूँ, वो पहल करे, यों वक्त गुज़रता जाता है
मन में घना अँधेरा है , कोशिश कर लें , आज मिटा लें।
दीप सजा लें।
प्यार बिना कैसा ये जीवन , क्यों ऐसे रहना आजीवन?
आज नेह की वर्षा करके, तप्त ह्रदय की प्यास बुझालें
मन की गाँठें सब खुल जाऐं, सबके मन हर्षित हो जाऐं
जीवन को फुलवारी बना लें , रंग बिरंगे फूल खिला लें।
दीप सजा लें।
घर आँगन चहके महके , प्यार के सारे स्रोत जगा लें
मन तो पागल होता है, अब कुछ अन्दर की भी सुन लें
बाहर तो सब जगमग है, कुछ अंदर भी रोशन कर लें
हर दिन ही दीवाली हो, सब मिलके कुछ ऐसा कर लें।
दीप सजा लें।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं।
अजित सम्बोधि।
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