ये हवा जो बह रही है
ये हवा कह रही है
ग़ौर से सुनना मुझको
नई सुबह आ रही है ।
एक सुबह जा रही है
एक सुबह आ रही है
मौसम की इक ख़्वाहिश
करवट बदल रही है ।
ये दुनिया आती रही है
ये दुनिया जाती रही है
दिल को बहलाने का
काम करती रही है ।
कोई धुन आ रही है
कोई गूँज आ रही है
चिनगारी एक बनके
चिराग़ जला रही है।
सुनहरी यादआ रही है
रुआँसा कर रही है
वापस वो लमहा ला दो
मुझको कह रही है ।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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