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Saturday, January 21, 2023

दिव्य आगमन

जैसे लम्बे सफ़र के बाद कोई, लौट के घर को आये
वैसा वो लम्हा, छोटा सा लम्हा, अब भी याद जगाये।

याद है मुझको बख़ूबी वो दिन मिला था पहले पहले
देखा था तुमको नज़रों में भरके , जब मैंने हौले हौले 
नायाब तजर्बा मुझको हुआ था घर तुम मेरे जब आये।

सुबह थी मनोहर , प्रभाकर आये लेकर अपनी प्रभा
पंछी लगे गीत गाने मधुर , देख के सुन्दर  वो आभा
कौन होगा इस जहाँ में, फ़िज़ा ऐसी न जिसको भाये।

गगन था नीला, अद्भुत रँगीला, कैसे न मनको सुहाये
हंसों की टोली , करती ठिठोली , सरपट उड़ती जाये
जाया था जिसने, प्यार से अपने, सीने से तुम लगाये।

आते ही तुम्हारे , घर में हमारे , ख़ुशियों ने डाला डेरा
चहका  आँगन , महका  मन , हो  गया  विदा  अँधेरा 
अड़तालीसवाँ जनम दिन आया, फूला न मन समाये।

जुग जुग जीओ
पापा

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