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Monday, March 6, 2023

होली 2023

मौसम में बहार है , गुलाल की बौछार है 
देखो होली आगई हाँ देखो होली आगई 
हवा में उड़ रही कैसी, रंगों की रंगोली है 
फ़िज़ा में मस्ती है या भाँग घुलके आगई?

कपकपाती धूप थी , सब   बिदा  हो गई 
मुलायम सी धूप अब, हर तरफ़  छा गई
खिड़कियाँ थीं बन्द, अब खुलती जा रहीं
बसन्ती  हवा  अब, अन्दर तक  छा   गई।

मौसम के लतीफ़े फ़िरसे, छाने  लग  गये 
कोयल  के  बोल फ़िर  से, आने लग गये
मुस्कुराहट अब तक  मफ़लर में ढकी थी
मुस्काने के अन्दाज़ नये , जगने लग गये।

पूनम   के   चाँद  से, आस्मान  भर  गया 
हर  बुर्ज, हर मुंडेर पर , उजाला भर गया 
महीनों के बाद फ़िर से, रोनक  है आ गई 
होली जो आगई, ख़ुशी से दिल भर  गया।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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