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Wednesday, August 30, 2023

रक्षाबन्धन 2023

ये जो हम मना रहे रक्षाबन्धन

ये बन्धन नहीं है , है अनुबन्धन

ये जो धागा अपने  ने  बाँधा है 

ये प्रेम का ही तो  है गठबन्धन।


साड़ी चीर के निकाला था चीर  

अंगुली के चीरे पे बाँधा था चीर 

भरी सभा में  इस राखी ने, नहीं 

करने दिया था  हरण,  वो  चीर।


प्रेम बिना भला कहाँ है  जीवन 

प्रेम से ही तो मिलता संजीवन 

मिलना है यदि ख़ुद से, प्रभु से 

प्रेम से प्रेम  का करें  आवाहन। 


क्या आपको  होता है आग़ाज़ 

रब  कभी  होता  नहीं  नाराज़ 

प्रेम का बन्धन है  कुछ  ऐसा

नासाज़  नहीं होता  ये  साज़।


रक्षाबन्धन की शुभ कामनाएँ।

अजित सम्बोधि।

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