जो दिल में था , आँखों में पढ़ लिया
पूछने की ज़रूरत न थी , देख लिया।
जाना ज़रूरी न था, मज़बूरी में गये
मेहरबानी कर दी , यादें छोड़ते गये।
पहिले पाना, फ़िर खोना, फ़िर रोना
क्या इसे ही कहते हें हयात का होना ?
क़रीब आना और फ़िर दूर चले जाना
क्या दिल से पूछा जब हुए थे रवाना ?
आईने से दोस्ती कीं होती, ठीक रहता
दिल की बात मसल्सल बताता रहता।
कैसी हें आपा, एक दिन तबस्सुम ने पूछा
सुरैय्या जी ने कहा , तुमने भी ख़ूब पूछा ।
कैसी गुज़र रही है , सभी पूछते हें मुझसे
कैसे गुज़ारती हूँ, कोई नहीं पूछता मुझसे।
देव साहब ने कहा है , मेरा सलाम कह देना, बेबी
आपा शर्मा गईँ, बोलीं मेरा शुक्रिया कह देना बेबी ।
लफ़्ज़ हें कि एकबारगी , ख़ुशबू भर देते हें
ज़िन्दगी को यादों का , तोहफ़ा दे देते हें।
कोई पास रहे या दूर रहे, दुआ करता हूँ सलामत रहे
मीठी सी यादों की इबारत , इबादत सी सलामत रहे ।
हयात = ज़िन्दगी। मसल्सल = लगातार ।
तबस्सुम=मुस्कान। सुरैय्या = सुरीली ।
आपा = बड़ी बहिन।इबारत = पदावली।
पोस्टमैन?
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि
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