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Tuesday, August 1, 2023

पोस्टमैन?

 जो दिल में था , आँखों में पढ़ लिया 

पूछने की ज़रूरत न थी , देख लिया।

जाना ज़रूरी न था, मज़बूरी में गये 
मेहरबानी कर दी , यादें छोड़ते गये।

पहिले पाना, फ़िर खोना, फ़िर रोना 
क्या इसे ही कहते हें हयात का होना ?

क़रीब आना और फ़िर दूर चले जाना 
क्या दिल से पूछा जब हुए थे रवाना ?

आईने से दोस्ती कीं होती, ठीक रहता 
दिल की बात मसल्सल बताता रहता।

कैसी हें आपा, एक दिन तबस्सुम ने पूछा 
सुरैय्या जी ने कहा , तुमने  भी ख़ूब  पूछा ।

कैसी गुज़र रही है , सभी पूछते हें मुझसे 
कैसे गुज़ारती हूँ, कोई नहीं पूछता मुझसे।

देव साहब ने कहा है , मेरा सलाम कह देना, बेबी 
आपा शर्मा गईँ, बोलीं मेरा शुक्रिया कह देना बेबी ।

लफ़्ज़ हें कि एकबारगी , ख़ुशबू भर देते हें
ज़िन्दगी को यादों का , तोहफ़ा दे  देते  हें।

कोई पास रहे या दूर रहे, दुआ करता हूँ सलामत रहे 
मीठी सी यादों की इबारत , इबादत सी सलामत रहे ।

हयात = ज़िन्दगी। मसल्सल = लगातार ।
तबस्सुम=मुस्कान। सुरैय्या = सुरीली ।
आपा = बड़ी बहिन।इबारत = पदावली।

पोस्टमैन?

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि 

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