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Monday, January 1, 2024

नया सबेरा 2024

 नई  सबा  आ  रही  है, नई  हवा  आ  रही है 

ख़ुशियाँ  लुटाने  को, नई  फ़िज़ा आ  रही  है।


वो शम्स आ  गया है, हर शख़्स  जग  गया है 

दिल में ख़ुशी  का आलम फ़िरसे भर गया  है।

रब के करम से हमको नई किश्त मिल रही है।

 

भूली बिसरी  यादें लेकर, ख़ुशियों ने डाला डेरा 

बन  जाए  सब  हमारा, मिट  जाए  मेरा   तेरा।

फ़िर से  गले  लगें  हम, ये  उम्मीद  जग  रही  है।


मुबारक हो सबको ये दिन, मिल जायें बिछड़े दिल  

नई फ़िज़ा में साँस ले लें , चेहरे जायें फ़िर से खिल 

मासूमियत  की  रंगत, देखो  चेहरे  पे आ  रही  है।


हर सबा ओ शाम अबसे, बन जायें सबके मोहसिन

ऐसी  चले हवा कि, दिल हो जायें सब  के मुतमइन 

नया इन्सान बनने को देखो, नई सुबह  आ  रही  है।


सबा= सुबह। शम्स=सूरज। करम=कृपा।

मोहसिन= उपकारी। मुतमइन=सन्तुष्ट।


ओम् शान्ति:

अजित सम्बोधि

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