लो वो आ गई, लो वो आ गई
मुंतज़िर थे हम, लो वो आ गई।
रौशनतर करने के लिए सबको
आज फ़िर से याद उसे आ गई।
जिसे कहते हें सब दिवाली, वो
फ़िर से अपनी दिवाली आ गई।
ज़िन्दगी इक सफ़र है सुहाना
साथ रहते हुए हमने जाना।
ये नेमतें जो हमको मिली हें
रब दी किरपा है , हमने माना।
मिटाने को अँधेरे घनेरे आ गई
अपनी दिवाली फ़िर से आ गई।
दम ब दम हम यों ही चलते रहेंगे
मालिक तेरा नाम गुनगुनाते रहेंगे।
गो कि हम बहकते भी रहते हें
मुनव्वर तेरे पास, हम आते रहेंगे।
तू हमारा है , दिलाने याद आगई
प्यारी दिवाली आज फ़िर आ गई।
मुंतज़िर=इंतिज़ार करने वाला।
रौशनतर= और अधिक रौशन।
दम ब दम= हर दम।गो कि= यद्यपि।
मुनव्वर=ईश्वर।
दिवाली की शुभ कामनाएँ
अजित सम्बोधि
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