दुआ करता रहता हूँ यही रब से
न देखूँ चश्मे पुरनम तुम्हें फ़िर से।
यही इल्तज़ा रहती है लबों पे मेरे
दामन तुम्हारा भरा रहे ख़ुशियों से।
हाँ तुम दिव्य हो, सौम्य हो, भव्य हो
यह अतिशयोक्ति नहीं, तुम श्रव्य हो।
तुमको आबदीदा देखना गवारा नहीं
ध्यान रखना कि तुम एक चरितव्य हो।
तुमसे सुबह सुबह गुफ़्तगू जो हो गई
दिल की तमन्नाएँ मेरी जैसे पूरी हो गईं।
पचासवाँ जन्मदिन अच्छे से मनाना बानो
तुमको देखके दुनियाँ मेरी आबाद हो गई।
रब = ईश्वर। चश्मे पुरनम = नम आँखों में।
इल्तज़ा = प्रार्थना। लबों = होठों।
आबदीदा = आँसूओं से भरा। गवारा = स्वीकार्य।
चरितव्य = जिसका आचरण अनुकरणीय हो।
गुफ़्तगू = बातचीत। बानो = लाड़ली।
जनम दिन मुबारक हो बिटिया
पापा
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