बसन्त आ गया यानि कि बस अन्त आ गया!
अच्छा! भला बताओ तो किसका अन्त आ गया?
मुफ़्लिसी का या कि फ़िर बे-इन्तिहाई नफ़रत का ?
क्या मज़्लूम का दौर ए बेहिसाई ख़त्म होने आ गया?
क्या निर्भया को लूटने मारने के दौर का अन्त आ गया?
क्या मणिपुर जैसी नंगी परेड होने का अन्त आ गया?
क्या वाक़ई सख़ाफ़त हार गया, सख़ावत जीत गया?
ऐसा दिन जब आयेगा, मैं माँन लूँगा, बसन्त आ गया।
कुदरत ने अपना फ़र्ज़ बख़ूबी अपने वक़्त पे निभा दिया
शिशिर की सर्द हवाओं को धीमा होने का हुक्म दे दिया।
क्या इन्सान भी अपनी फ़ितरत में तब्दीली ला पाएगा?
ताकि दिल पे हाथ रख के मैं कह सकूँ हाँ बसन्त आगया।
मुफ़्लिसी = ग़रीबी। बे इन्तिहाई = limitless.
मज़लूम = जिस पे ज़ुल्म किया जाता है।
दौर ए बे हिसाई = period of insensitivity.
सख़ाफ़त = ओछापन। सख़ावत = उदारता।
फ़ितरत = nature. तब्दीली = change.
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि
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