मेरा हिसाब तेरे हवाले , तेरी उंगली थामे जाएंगे।
यहां पर जो•शै बनी , बिगड़ने को ही बनी •वस्तु
ये देखकर भी हर शै, हम•ख़ूबतर बनाएंगे।• बेहतर
कभी नहीं कोई हुआ किसी का इस जहान में
ये जानकर भी दामनगीर , ख़ूब हम बनाएंगे।
बुझे बुझे हैं दिल यहां, ज़ेहन में है धुआं धुआं
ऐसी तीरगी में भी , हम चराग़े•उंस जलाएंगे।• प्यार
मुमकिन है मेरी बात , समझ पाये ना कोई
है बात काम की अगर, हम गीत बनके गाएंगे।
गूंज बनके मेरे गीत, गूंजेंगे जहान में
चाहे कोई ना सुने,•हक़ को हम सुनाएंगे।• ईश्वर
जिसका है ये जहां , उसको ये बता दिया
बे हिसाब के हिसाब , से हिसाब लगाएंगे।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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