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Thursday, October 15, 2020

जंगजू

लोग लड़ा करते हैं , बख़ूबी लड़ा करते हैं
 कोई बैरी नहीं हो तो पैदा किया करते हैं
कुछ सजधज के पहिन वर्दी लड़ा करते हैं
कई जोशीले तो , बिला वर्दी लड़ा करते हैं।

लड़ाई एक मौजू है जिसे लोग पढ़ा करते हैं 
बड़ी शिद्दत से लड़ने की अदा सीखा करते हैं 
ये लड़ाई बड़ी काम की चीज़ हुआ करती है
अगर ये ना हो तो लोग नाकारा हुआ करते हैं।

कुछ लोग फ़रीक़ ए इंसाफ़ बन लड़ा करते हैं 
और कुछ नाइंसाफी की, बाजी लड़ा करते हैं
लड़ने वालों में लखनवी बाँके भी हुआ करते हैं
वो कमज़ोर दिलों का हौसला बढ़ाया करते हैं।

कोई उन्हें जाँबाज़ तो कोई जाँनिसार कहता है
कोई जंगजू तो फ़िर कोई , पहरेदार कहता है
जंग चलती रहे ताकि , तवारीख़ रुक न जाए
हरेक उन्हें अपने फ़िरके का हिसार कहता है।

 मौजू = विषय।शिद्दत = मेहनत।
फरीक़ ए इंसाफ़ = वादी।हिसार = अभेद्य।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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