इस हाल से मुझे तार दे
ग़र तुमको मैं भाने लगा
मेरा नाम क़दमों में जोड़ दे।
मैं ये भूल जाऊँगा मैं कभी
तुमसे जुदा होकर रहा
मैं ये भूल जाऊँगा मैं कभी
बनकर अनाड़ी भी रहा
जिन पे करम बख़्शा है तुमने
मेरा नाम उनमें ही जोड़ दे।
तुम्हें अपना कहने की चाह है
मुझे ये इजाज़त चाहिए
दिल के पनाहगाह में
कुछ जगह मुझको चाहिए
जिन्हें मिल चुका तेरा सिला
मुझे उस मिसिल में जोड़ दे।
जब सुबह में तू झाँकता
मुझे लगता गुले वर्द है
तेरा देखकर घेरा शफ़क़गूँ
शफ़तैन होते सुर्ख़ हैं
जिस राह से गुज़रा करे
उस राह में मुझे डाल दे।
सिला = पुरस्कार। मिसिल = फ़ेहरिस्त।
गुले वर्द = गुलाब का फूल।
शफ़क़गूँ = शफ़क़ जैसी लालिमा।
शफ़तैन = दौनो होंठ।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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