मुहब्बत चीज़ है ऐसी, मुझे सबसे मुहब्बत है।
तुम ढ़ूंढ कर देखो , ज़रा फ़िर पूंछ कर देखो
परख कर फ़िर ज़रा देखो, और ग़ौर से देखो
ज़माने भर में जाकर के, घूम के धूम से देखो
बताना मुहब्बत के सिवा ग़र, और कुछ देखो
ये दुनिया है लगती हसीं उतनी, पूंछ कर देखो
कि दिल में किसी के वास्ते, जितनी मुहब्बत है।
फ़िर से दे रहा दस्तक, है मौसम दिवाली का
ये मौसम शिराली का, ये मौसम उजाली का
हमें था बेक़रारी से, इंतिज़ार बारहा जिसका
है आगया फ़िर लौटके वो मौसम बहाली का
दिवाली सजाई जाया करती, है दीपों से मगर
दिलों में जलते हैं चिराग़, तो होती मुहब्बत है।
मुहब्बत के हुआ करते हैं , शग़ल मुख़्तलिफ़
हो सकता है कुछ लोग इससे , हों नावाक़िफ़
मुहब्बत में मगर होती है , इक अजब सिफ़त
वो ज़ाहिर कर ही देती है कि कौन है•आलिफ़ • स्नेहिल
ज़िन्दगी सिर्फ़ ज़िंदा रहने का नहीं होता नाम
ज़िंदगी तो वहीं होती है जहां होती मुहब्बत है।
वो परचम है•सरनिगूं, करता किसकी इबादत है•सिरनीचा
मैं जानता हूं ये इबारत , उसे हवा से मुहब्बत है
ज़रा आने तो दो झोंका बादे सबा का इस तरफ़
फ़िर देखना फड़फड़ाता कैसा होके मदमस्त है
वो तैरते बादलों के टुकड़े , वो उड़ते हुए परिन्दे
सब कह रहे हैं हर तरफ़ मुहब्बत ही मुहब्बत है।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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