मैं सोचता ही रह गया, क्या कहूं क्या हाल है?
क्या जवाब इतना आसान है, जितना सवाल है?
क्या सवाल में छिपा नहीं है कोई और सवाल है?
आप चाहें तो, अंदाज़े ख़ुशफ़हमी में रह सकते हैं
और बड़े बड़े माकूल ए मौका जवाब दे सकते हैं।
पर दिल के अन्दर की बात तो और हुआ करती है
जो होंठों पर आ आ कर भी, रुक जाया करती है।
सुख दुख के धागों से बना ज़िंदगी का आशियाना
ताने बाने से ही बुना जाया करता हर शामियाना।
चाहे सिकन्दर हो या कलन्दर, वही एक कहानी है
ख़ुशी में ग़म, ग़म में ख़ुशी, एक तयशुदा रवानी है।
अंदाजे ख़ुशफ़हमी= सब बढ़िया है, ऐसा दिखाना।
माकूले मौका= मौके के मुताबिक।
आशियाना= घर। रवानी= flow.
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
No comments:
Post a Comment