करती घरड़ घरड़
बरसे सरड़ सरड़, ये बादरिया।
मेरे मन में उमंग
दिल में छाई है उचंग
बाजे जैसे सरचंग, ये बादरिया।
धरती हरषित है
लता झूमत है
हवा चूमत है, ये बादरिया।
आज आई बरसात
बिछी ख़ुशी की बिसात
लेके आई सौगात, ये बादरिया।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
WELCOME
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