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Sunday, July 18, 2021

आज बरसे बादरिया

आई घुमड़ घुमड़
करती घरड़ घरड़
बरसे सरड़ सरड़, ये बादरिया।

मेरे मन में उमंग
दिल में छाई है उचंग
बाजे जैसे सरचंग, ये बादरिया।

धरती हरषित है
लता झूमत है
हवा चूमत है, ये बादरिया।

आज आई बरसात
बिछी ख़ुशी की बिसात
लेके आई सौगात, ये बादरिया।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।


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