अब जाना ऐ जगवालो, कुछ नहीं पाया हमने।
दुनियाने जोकुछ बतलाया,दौड़के उसको देखके आया
कहीं पीछे ना रह जाऊँ मैं , ख़ुद को मैंने ख़ूब भगाया
भागम भाग की दुनिया में, थकना ही बस पाया हमने।
वादे देखे कसमें देखीं , धोखे देखे आँसू देखे
सपने बिस्मिल होते देखे, धनदौलतपे बिकते देखे
चकाचौंध की दुनिया में, मनका अँधेरा पाया हमने।
जब अंदर को झाँका हमने, अजब नज़ारा देखा हमने
सब कुछ जगमग देखा हमने,चाँद रुपहला देखा हमने
कहीं दिवाली देखी हमने , कहीं हिमालय पाया हमने।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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