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Thursday, December 16, 2021

ध्यान

शक्ति का कर लो आहवान
स्वत: ही  लग  जाए  ध्यान
जो कुछ है वह शक्ति करती
यही  धारणा  बनती  ध्यान।

जब तक करता बनते रहोगे
ख़ुद को ही तुम भजते रहोगे
ख़ुद के काम ही ध्यान बनेंगे
असली  ध्यान  से दूर  रहोगे।

दुनियां से कुछ मुंह को मोड़ो
सरल  बनो    चतुराई  छोड़ो
ख़ुदको थोड़ा भूल ही जाओ
सब कुछ शक्ति पर ही छोड़ो।

जब  शक्ति  से  प्यार  करोगे
तब ख़ुद  से  तुम  दूर  रहोगे
सब कुछ  शक्ति ही करती है
तब जाकर  यह देख  सकोगे।

खाना  पीना   चलना  फिरना
एकदिन होश में रहकर करना
यह  भी  शक्ति   करती  रहती
इस  पर ध्यान ज़रूरी  रखना।

बतरस हो  या  जिह्वा रस हो
दुनियां का  कोई  भी  रस हो
सब रस  फीके  लगने  लगते
जब ध्यान धारणा अंत:रस हों।

शक्ति= कुंडलिनी।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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