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Sunday, June 19, 2022

फ़ादर्स डे

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ये  शाम  सुहानी  है , मौसम  की  रवानी  है 
मेरी   ज़ुबानी   है , गो  कि  बात  पुरानी  है 
मुबारक हो  आप सबको , ये  शाम  सुहानी 
ये तो आपके ही दिलकी , नायाब कहानी है ।

प्यार देने के सिवा मा ने, कुछ और नहीं जाना 
अपनी  जान  से  बढकर , औलाद  को  माना ।
पापा ने हिफ़ाज़त को , हिफ़ाज़त से है रक्खा
औलाद की  सलामत, अपना  फ़र्ज  है  माना।

मा ने गोदी में  सुलाया, आँचल का  प्यार देकर
पा  ने  कंधे पे  उठाया , नज़रों  से  प्यार  देकर।
ये  कहानी  है  पुरानी, लगती  है  ताज़ा लेकिन 
हर दिल ने इसे   जाना , कसौटी  पे   कस  कर।

एक हाथ  पकड़ती मा , एक हाथ पकड़ते पा
और बीच में चलता बच्चा , उठा  उठा  के  पा
बच्चा  क्या  मिल  गया , मिल  गया  है  जहाँ 
कभी मा उठाती उसको , कभी उठाते हें पापा।

ये  शाम  सुहानी  है ,  मौसम  की  रवानी  है 
मेरी  ज़ुबानी   है ,  गो  कि   बात  पुरानी  है 
मुबारक हो  आप सबको , ये  शाम  सुहानी 
ये तो आपके ही दिल की , नायाब कहानी है ।

नायाब= matchless. सलामत= सुरक्षा।

                                          2
जिनकी  बदौलत  बैठे  यहाँ  पर , उन्हें याद करना  हो  पा रहा है 
रब का करम है हम सब के ऊपर, सुहाना सफ़र तय हो पा रहा है ।

मालिक कहीं पे दिखता नहीं है, उसका करम कैसे मिल पा रहा है 
माता  पिता  हें  नुमाइंदे  उसके, ऐसे करम  हमको  मिल पा रहा है ।

सबको  नमन  है  मेरा  यहाँ  पर, आपस में मिलना हो पा रहा है 
जुदा सबकी मंज़िल जुदा सबकी राहें, मिलना मगर हो पा रहा है ।

जिनकी बदौलत मिले हम यहाँ पर, उन्हें याद करना हो पा रहा है 
ऐसे  ही  आगे  भी मिलते  रहेंगे, ऐसा  भरोसा भी हो  पा  रहा  है ।

मुझको   इज़ाजत  अब  दीजिए , भारी से मन से मैं  कह रहा हूँ 
मालिक से अब ये दुआ कीजिए , फ़िर से मिलाए ये  कह  रहा हूँ ।

बदौलत = कारण से। रब= ईश्वर। करम= क्रपा।
नुमाइंदा = representative. जुदा= separate. 

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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