पता है आपको ये किसने कहा था
क्योंकर कहा था, किसको कहा था?
कान्हा ने इसको उस दम कहा था
अर्जुन को जब वहम हो गया था।
वो ख़ुद को अहमियत देने लगा था
ख़ुद को आमिल समझने लगा था
सब कुछ तो जैसे उसी को है करना
ख़ुद को कामिल समझने लगा था।
ये ख़ुशफ़हमी तो सभी को है रहती
हर काम में एक 'मैं' लगी है रहती
हमारे सहारे जैसे दुनिया है चलती
रब की याद भला किसको है रहती?
भेद कान्हा ने पार्थ को समझा दिया
सही सही जीने का मर्म बतला दिया
कान्हा की मर्ज़ी है कान्हा की दुनिया
दिखावे का ज़रिया , हमें बना दिया।
अगर चैन से तुम्हें , रहना है जग में
काँटा 'मैं' का जब मिले कोई मग में
उठा के उसको कूड़ेदान में पटकना
नाम कन्हैया का , रटना हर पग में।
आमिल=कर्ता। कामिल=पूर्ण।
ख़ुशफ़हमी=स्वयं की विशेषता का भ्रम।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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