ख़ुद से ही ख़ुद को चुरा लेना
मुझसे न कहना , भुला देना ।
अपनी मायूस निगाहों से फ़िर
मुझसे शिकायत ना करना।
इस जहाँ से अलग भी जहाँ है
रगे जाँ से क़रीबतर जहाँ है ।
तुमको करना पड़ेगा ये यकीन
निस्बत में एक और भी जहाँ है ।
चाहत से गिला मत करना
राहत को मना मत करना
सपने तो अपने हें, आया करेंगे
पलकों को अच्छे से बंद रखना ।
कुछ वक़्त गुज़र जाने देना
नज़रों को मुसल्लस में रखना
वहीं पर मिलते रहेंगे हम तुम
पलकों को अच्छे से बंद रखना।
रगे जाँ=jugular vein. क़रीबतर= अधिक क़रीब।
निस्बत = relation. मुसल्लस= triangle.
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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