हर किसी को किसी ना किसी की तलाश है
पास है, दिखता नहीं, मुझे उसकी तलाश है।
गुरूर में रहने वाले तो बहुत मिलते रहते हैं
जो दिल में रहता है, मुझे उसकी तलाश है।
निगाहें चुराने वाले बे वजह मिला करते हैं
जो ग़म को चुराले , मुझे उसकी तलाश है।
दुनिया में दौलतमंद सब कुछ ख़रीद लेते हैं
जो सन्नाटा ख़रीद ले, मुझे उसकी तलाश है।
काँटे भी मंज़ूर हैं गुलाब को , साथ के लिए
बेलौस का साथ दे दे, मुझे उसकी तलाश है।
काँच टूट ही जाता है कभी न कभी साहिब
शफ़्फ़ाफ़ हो, टूटे न , मुझे उसकी तलाश है।
रूँठना और नाराज़ होना, मुख़्तलिफ़ होते हैं
रूँठे को मनाना पसंद, मुझे उसकी तलाश है।
जिस्म को चाहने वालों की कमी नहीं साहिब
जो रूह का मुरीद हो , मुझे उसकी तलाश है।
कभी किसी ने पूछ लिया था 'आप कौन हैं?'
कौन हूँ मैं? अभी भी मुझे उसकी तलाश है।
बेलौस=खरा, निष्पक्ष।शफ़्फ़ाफ़=transparent.
मुख़्तलिफ़ = different. मुरीद=अनुगामी।
वाह ज़िन्दगी !
अजित सम्बोधि
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