मेरा हाल तो उन्हीं से पूछलो, वो ही बता देंगे
जो कहते थे ज़िन्दगी भर का प्यार सौंप देंगे।मैंने कहा था तुम तो अपने दर्द मुझे सौंप दो
उदासी छू होगी, और हम मुस्कुराया करेंगे।
वो मुस्कुराहट कैसी जिसमें दर्द न छिपा हो
दर्द के अलावा, मुहब्बत का सुबूत क्या देंगे?
वादे इंसान करते हैं, फ़ैसले क़िस्मत लेती है
हम अपना किरदार बदस्तूर, निभाये चलेंगे।
वक्त के सामने शक्लो सूरत बदल जाती है
ये हमारी फ़ितरत है , सीरत न बदलने देंगे।
बात करने के लिए तो बस ख़ामोशी चाहिए
रूहानी गोश तो सिर्फ़ ख़ामोशी सुन पायेंगे।
उनकी मेरी ख़ामोशी एक, ख़्यालात एक हैं
मसला ये है कि, हालात क़रीब न आने देंगे।
मुहब्बत एहसान समझ कर की नहीं जाती
आप मुहब्बत करेंगे और कुछ न कर पायेंगे।
हम भी एक वक्त किसी के ख़ुदा रह चुके हैं
जो फ़र्ज़ बनता है , उसे ताउम्र निभाते रहेंगे ।
तबाही भी मुहब्बत का किरदार निभाती है
इसी से तो मुहब्बत करने वाले नज़र आयेंगे।
जिनका साथ दरकार था, वो तो नहीं आयेंगे
ख़िज़ा गुज़रने पे तो पत्ते बहार लेकर आयेंगे?
सब कुछ बिखर गया, कुछ भी तो बचा नहीं
क्या ये एहसास भरे पन्ने, चैन से जी लेने देंगे?
सज़ा देने वाले ने कोई गुनाह न किया हो तो
ऐ ज़िन्दगी , हम कोई भी सज़ा हो , सह लेंगें।
जहाँ साथ ज़रूरी था, अकेला ही चल रहा हूँ
साया बरकरार है, उसी से महक लिया करेंगे।
रेत जैसी ज़िन्दगी थी, बिखरना ही नसीब था
रूह को मना लेंगे, बातें बनेंगी, उन्हें सह लेंगे।
इत्मीनान से रहें, भरोसा रखें, कह देना उनसे
रूह बनके आऐं, मेरे शाने पे सिर रख सकेंगे।
गोश=कान। शाना=कंधा।
यही तो बात है
अजित सम्बोधि।
No comments:
Post a Comment