शिव को नमन है , ये दुनिया चमन है
शिव की है ये सैरगाह
प्यार की ये डगर है, ख़ूबसूरत सफ़र है
है दिलकश पनाहगाह
है जोशिश जश्नगाह।
नफ़रत के लिए दिल में फ़ुरसत नहीं
उल्फ़त की रखते निगाह
सभी मिलके यहाँ पे रहते रहें
सबको मिलती यही है सलाह
चाहे शाम हो या हो पगाह।
बदज़ुबानी करें ना, बदगुमानी करें ना
किसी की भी निकले न आह
जियें सब अमन में, अपने वतन में
न किसी का भी घर हो तबाह
प्यार की मिले सबको ही छाँह।
ज़िन्दगी क़ीमती, मुस्तक़िल भी नहीं
क्यों करे कोई किसी से भी डाह
बाँटें मुस्कान, होंए पूरे अरमान
रोशन हो हर एक राह
चमकें मेहर ओ माह।
जो शिव हैं वो सुन्दर हैं, बाहर हैं अन्दर हैं
शिव ही हैं सबके गवाह
सबसे नाता है उनका, काशी ही क्यों
हर आँगन पे उनकी निगाह
सबकी पकड़ी उन्होंने है बाँह।
जोशिश=full of excitement. पगाह=सुबह।
मेहर ओ माह= सूरज और चाँद।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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