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Friday, March 8, 2024

कौन हें शिव ?

 शिव  मतलब शव मतलब शून्य

शून्य यानि सूना, ये ही तो पर्याय।

क्या वह गोचर है  यानि द्रश्य  है  

अथवा  कि  अगोचर  या  अद्रश्य ?


शिव को समझना है, जानना है ?

मतलब है कि शून्य में उतरना है?

यानि कि शून्य में स्थिर होना है?

यानि कि ध्यनावस्थित  होना है?


यही  तो स्वयं  को  जानना   है 

हम शून्य हें , यही पहिचानना है।

शून्य से उठते स्पन्द बताते हें कि

हम अक्षर हें! इसी को देखना है!


ध्यान  तो प्रत्याहार में  छिपा है 

और ध्यान  में   शून्य  छिपा  है।  

शून्य  के  लोच  में  अगोचर  है 

उसके अक्स में गोचर  छिपा  है ! 


जो  शून्य  है  वही  चेतन्य  है 

वही  समितिंजय  मृत्युंजय है 

वही अविभाज्य अपरित्याज्य

शिव  है, वन्दनीय  है, पूज्य है !


शिवोहं शिवोहं

अजित सम्बोधि

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