Popular Posts

Total Pageviews

Sunday, May 23, 2021

क़तील शिफ़ाई के चंद अशआर

खुला है झूंठ का बाज़ार, आओ सच बोलें
न हो बला से खरीदार, आओ सच बोलें।

सुकूत छाया है इंसानियत की कद्रों पर
यही है मौका ए इज़हार, आओ सच बोलें।

हमें गवाह बनाया है वक़्त ने अपना
बनाम ए अज़्मत ए किरदार, आओ सच बोलें।

सुना है वक़्त का हाकिम बड़ा ही मुंसिफ है
पुकार कर सर ए दरबार, आओ सच बोलें।

छुपाए से कहीं छिपते हैं दाग़ चेहरे के
नज़र है आईना बरदार, आओ सच बोलें।

सुकूत = ख़ामोशी
बनाम ए अज़्मत ए किरदार= किरदार की इज़्ज़त के नाम पर
सर ए दरबार= महफ़िल में
नज़र है आईना बरदार= ख़िदमत में आईना लिए खड़ा है ख़ाकसार।

ओम् शान्ति:

No comments:

Post a Comment