तुम रखते सबका ही ध्यान
जो भी लेता तुम्हरा नाम
बन जाता उसका है काम
बढ़ जाता उसका है मान
हे हनुमान हे क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।
हे हनुमान हे दयानिधान
दे दो मुझको ऐसा ज्ञान
मेरी साँसों में रम जाओ
लग जाये बस तुम्हरा ध्यान
दिन और रात हों एक समान
हे हनुमान हे क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।
हे हनुमान करदो विधान
मुझको दे दो ये वरदान
जब भी याद करूँ मैं मन में
बस जाओ आकर नैनन में
नयन मूँद, कर लूँ मैं ध्यान
हे हनुमान हे क्रपानिधान
तुम रखते सबका ही ध्यान।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि
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