मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना
सब कुछ भुलाना, न यादें भुलाना।
वो तितली का उड़ना
वो बुलबुल का गाना
वो सावन का मौसम
वो बारिश का आना
वो झूले पे पैंगें बढ़ाते ही जाना
आख़िर की डाली को छूकर के आना
मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना
सब कुछ भुलाना, न यादें भुलाना।
बहता हूँ जैसे , नदिया का पानी
चेहरे पे लिखी है , मेरी कहानी
मुझे ढूँढ ने की , ज़रूरत नहीं है
मेरे गीत दे देंगे , मेरी निशानी।
अगर याद आऊँ तो आना, बुलाना
ये यादें ही तो है मेरा ख़ज़ाना
मुझे छोड़ जाना न दिल को दुखाना
सब कुछ भुलाना, न यादें भुलाना।
मुझे चाहिए मेरी, यादों की दुनिया
नदी का किनारा, किनारे पे नैया
हथेली पे गाँठें नाविक की छूना
मिला फ़िर वो कैसे गले से खिवैया।
वो आँखों में दो मोती उतरना
वो जाते हुए भी मुड़ कर के आना
मुझे छोड़ जाना, न दिल को दुखाना
सब कुछ भुलाना, न यादें भुलाना।
अगर गीत में मेरे कुछ भी रवानी
कहने को ग़र है, कुछ भी कहानी
मुझे छोड़ देना , नदिया किनारे
वहीं ढूँढ लूँगा , मैं अपनी निशानी।
न नम आँखें करना, न चेहरा छिपाना
कुछ भूली बिसरी सी बातें बताना
मुझे छोड़ जाना न दिल को दुखाना
सब कुछ भुलाना, न यादें भुलाना।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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