Popular Posts

Total Pageviews

Sunday, July 16, 2023

न समझ पाया मैं

नफ़रत की ख़िज़ाँ में , मुहब्बत की बहार है 

दिल से दिल को मिलाना, सबको दरकार है 
मालिक ने बख़्शी ज़िन्दगी, उसका करम है 
सफ़र में मिल कर चलें , मिल गया दयार है।

क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेंगे?
खाली हाथ आये थे और यों ही चले जाऐंगे 
फ़िर क्यों ना मुहब्बत से रहना सीख लें हम
तभी न प्यार की यादें, लेकर के सब जायेंगे?

छोटी सी ज़िन्दगी है, क्या इसे लड़के गुजारें?
एक दूसरे की ज़िन्दगी , तबाह करके गुज़ारें?
हम इन्सान हैं , इतना तो सभी कर सकते हैं  
आइन्दा से हर लमहा, यादगार बनाके गुजारें?

एक राज़ है जो , अभी तक न समझ पाया मैं 
वक्त कम ही रहता है क्यों , न समझ पाया मैं 
लोगों के पास तो वक्त है, कितना लड़ लेते हैं?
कैसा करिश्मा है लड़ने में , न समझ पाया मैं! 

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि

No comments:

Post a Comment