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Thursday, November 9, 2023

कैसे मैं गाऊँ अब मेरे गीत ?


कैसे  मनाऊँ अब  वो  दिवाली , कैसे  मैं  गाऊँ  अब  मेरे  गीत?

मिलके जलाते थे हम सब दीप, मिलके ही गाते थे हम वो गीत।


अँधेरा मिटा दे दिल से हमारे, उसी को तो कहते हम हें दिवाली 

रोशन  हो  जाए डाली  डाली, ऐसे  ही  तो  सब मनाते दिवाली।

मायूसियों से  दरपेश  हूँ  मैं, अरसा  हुआ, कोई  गाया  न  गीत।

हर साँस जो भी मुझ में है बहती, अपनी कहानी हरदम है कहती 

मासूमियत से कभी सुन जो लेता, देखो क्या है बयाँ है वो करती।

कैसे कोई किसी से ये पूछे , वो ये बता  दे कि खोया  क्या  मीत?


दिवाली मनाना आसान है क्या, ख़यालों के साये क्यों पूछते हें?

किसी को भुलाना भी मुमकिन है क्या, वादे पुराने क्यों पूछते हें?

क्या ये मेरा शग़ल सच नहीं कि , ख़ामोशियों में  पलते हें गीत?


मुझको ख़बर है चराग़े मुहब्बत, कैसे मसलसल  जलता रहा है 

कैसे तड़पता हुआ भी ये दिल , खुदी से बदस्तूर मिलता रहा है।

अकेले में आना अकेले में जाना, अकेले में ये भी निभानी है रीत।


शुभ दिवाली 

अजित सम्बोधि।

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