कितना अच्छा लगता है
जब पास कोई आ जाता है
कितनी भी हो तपन जगत में
मन शीतल हो जाता है।
प्यार के तोहफ़े के आगे
सब तोहफ़े फ़ीके लगते हें
जैसे हीरे के आगे
सब मोती फ़ीके लगते हें
प्यार मुझे दे दो जग वालो
और न कुछ मुझे भाता है।
इक छोटी सी मुस्कान से जब
कोई मन का दीप जलाता है
दिल के सारे दर्द पिघलते
मन हल्का हो जाता है
पलकें मेरी हँस पड़ती जब
कोई नज़र से नज़र मिलाता है।
प्यार के जादू के आगे
सब जादू फ़ीके लगते हें
प्यार बिना सब सूना है
प्यार से रिश्ते पलते हें
नाँच सभी लेते हें लेकिन
रास कन्हैया का भाता है।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि
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