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Sunday, August 30, 2020

तू ही तू है

ये सुबह का वक्त और, आसमाँ में तायरों का गुलोरेज़
तेरा है करिश्मा, मगर तेरा न दिखाई देना, हैरतअंगेज़।

उधर देखो परिन्दे उड़ रहे हैं आसमान में , लहर बनकर
मुझे लगता है वो झूलते हैं हवा में तेरी अंगुली पकड़कर।

पलक गिरते ही अंदर खिलता है गोशा गोशा मुस्कुराकर
तेरी बे-इंतिहा शक्लें दिखती हैं , पहिचान  एक  बनकर।

सच कहूँ , मुझे इस बात का डर सताता रहता है हरदम
तेरा नाम मेरे चेहरे पै न पढ़ ले, कोई पहरेदार, गजरदम।

      खयालों की दुनिया को तू ही आबाद रखता है
      झलक पाने को तेरी, ये दिल मुश्ताक़ रहता है 
      मुहब्बत करने को एक उमर काफ़ी नहीं होती
      तेरी खा़तिर ऐ कामिल, ये आमदोरफ्त़ रहता है।

तायर=पक्षी। गुलोरेज़=चहचहाहट। हैरतअंगेज=amazing.
गोशा-गोशा=अंग-अंग। गजरदम=early morning.
मुश्ताक=desirous. कामिल=पूर्ण।आमदोरफ़्त=आना जाना।

ओम् शान्ति:
अजित संबोधि

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