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Monday, August 31, 2020

मुहब्बत

मुहब्बत में सिर्फ दीवानगी की ज़रूरत होती है
बाकी चीज़ो की तो जनाज़े में ज़रूरत होती है।

मुहब्बत एक बार होती है, ऐसा जानकार कहते हैं
बाकी तो उम्र भर, सब में वही सूरत ढूँढते रहते हैं।

ज़िंदगी तो गुज़र जाती पर उसके होने से ऐसा होता
तपती धरती पै बारिश की बूँदें गिरते ही, जैसा होता।

वो सिखाता रहता और मैं चुपचाप सीखता रहता
हारते हुए भी मैं ज़िंदगी को बराबर जीतता रहता।

मुझे ग़म नहीं है कि उसने यूँ भुला दिया है मुझको
जो दे दिया है अब तक, वही सम्हाल लेगा मुझको।

मुझे और क्या चाहिए भला, उसकी यादों के सिवा
एक एक लफ्ज़ ज़ुबाँ पर है, जो बन गया है सिला।

सिला=इनाम।

ओम् शांति:
अजित सम्बोधि

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