तुम्हारा नसीब हूँ , मैं फ़र्ज़ निभाऊँगा ।
परचम की तरह मैं, लहराता रहता हूँ
मुसल्लस के दरम्याँ आबाद रहता हूँ ।
दायम ताज़ातरीन हूँ , मैं ग़ैर फ़ानी हूँ
ग़ैर जिस्मानी, लासानी, आसमानी हूँ ।
इख़्तियार करने की कोशिश न करना
मुझ पै यक़ीन कर, मेरे पास बने रहना।
अन्दर में रहना, मुब्तसिर होके रहना
मैं फ़ुरोज़ हूँ , फ़ुरोज़ाँ होके रमे रहना।
मुसल्लस=त्रिकोण। दायम=सर्वदा।
लासानी=unique. इख़्तियार= overtake.
मुब्तसिर=तसल्ली से। फ़ुरोज़=प्रकाश।
फ़ुरोज़ाँ=resplendent. नीलफ़ाम=नीलबिन्दु।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि
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