रोते रहने से तो बस आँखें फ़ुज़ूल होती हैं।
कोई तो होगी आरज़ू, धरती ख़ामोश रहती है
ख़्वाबों और ख़ाक़ में , इक यारबाशी रहती है।
घुमड़ती घटाऐं देख, बिजली कड़कने लगती है
धरती का तहम्मुल देख, बारिश बरसने लगती है।
ख़ामोश निगाहों में जो इक सुकून रहता है
इक ख़ामोश दिल ही उसे सम्हाल सकता है।
ख़ामोश भर रह पाने की नेमत, तू बख़्श दे
ख़ुद ब ख़ुद तेरी क़राबत में होंगे, तेरे ये बंदे।
यारबाशी=याराना। तहम्मुल=सब्र।
नेमत=वरदान। क़राबत=क़रीब में।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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