मैं, मेरी अहलिया, साझा कर रहे किस्से अनूठे हैं।
सूरज ढलने वाला है , सेमल के दरख़्त के पीछे
फागुन में सेमल पर होते हैं लाल फूलों के गुच्छे।
आजकल इस पर सैविन सिस्टर्स का, नशेमन है
अभी उनके गुल से गुलज़ार हो जायेगा , सहन है।
सैविन सिस्टर्स को मायूसी , सन्नाटा नहीं है पसंद
रात काबिज़ होने से पहले, ख़ूब मचाती हैं हुड़दंग।
कभी मैं अकेला ही बैठा हुआ होता हूँ, बैल्कनी में
सहसा घिरा पाता हूँ, सात जोड़ी आँखों के घेरे में।
मेरे अकेलेपन पर शायद उनको तरस हो आता है
जिसे बेइंतिहा चिल्लाकर उनको भगाना पड़ता है।
आख़िर सिस्टर्स ही जगह जगह ख़िदमात करतीं हैं
यहाँ पे सैविन सिस्टर्स मेरी ख़िदमत किया करती हैं।
शाद = ख़ुश। अहलिया= जीवन साथी।
नशेमन = बसेरा।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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