Popular Posts

Total Pageviews

Sunday, October 11, 2020

अपना दर्द मुझे दे दे

हो सके तो इक इक इन्सान का दर्द मुझे दे दे
मेरी ये दरख़्वास्त है तू अपना दर्द भी मुझे दे दे।

गुलाब के मानिंद किसी की ज़िंदगी महका सकूँ
 रहम कर के अपने चमन का इक वर्द मुझे दे दे।

ज़िन्दगी की बाजी हार के, मायूस हुए बैठे हैं जो
पासा पलट दूँ उनके नसीब का, वो नर्द मुझे दे दे।

तू ख़ालिक है जहान का, तुझे भी आराम चाहिए
ऐ कर्दगार मेरी इल्तज़ा है, कुछ कर्द मुझे भी दे दे।

जो माँगा है न दे सके तो इतना ही कर दे, मुनव्वर
तेरे प्यार में पागल है जो, मेरा वो फ़र्द मुझको दे दे।

वर्द=गुलाब।नर्द=गोटी।ख़ालिक=स्रष्टा।
कर्दगार=doer, god. इल्तज़ा=प्रार्थना। कर्द=काम।
मुनव्वर=चमकने वाला, चमकाने वाला।फ़र्द=इन्सान।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

No comments:

Post a Comment