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Tuesday, November 17, 2020

उसे मेरी याद आती है

अगर ख़ुद से ही ख़ुद ब ख़ुद मिलते रहोगे
दूसरों से मिलने को फ़िर इतना न तड़पोगे
हर इंसान में  कई कई परतें हुआ करती हैं
एक से मिलके, बाकी से अनजान ही रहोगे।

ज़ियाद: दूर तक न मिला करो हर किसी से
बिला वजह मिलना भी करता है दूर ख़ुद से
अधिक दूर जाने पे अक्सर लोग डूब जाते हैं
डूबना है तो ख़ुदा में डूबो, पहल करो ख़ुद से।

ये औरों की बात करना अपाहिज बना देता है
बात बनती नहीं , बात बनने का धोखा देता है
इसके बजाय, ख़ुद से ख़ुद की बातें किया करो
तब देखना कैसे तुम्हारे काम ' वो' कर देता है।

और सुनो एक डोर मेरे उसके दरमियां रहती है
ये डोर मस्ख़री है मुझको उल्लू बनाती रहती है
मैं जब समझता हूं कि, मैंने उसको पा लिया है
ये डोर झटका लगा के मेरी खिल्ली उड़ाती है।

मगर उसकी ये खिल्ली मुझे ख़ूब रास आती है
 इससे ख़ुद पे हंस पाने की •मश्शाकी आती है • दक्षता
दूसरों पर सभी हंसते हैं, मुझे ख़ुद पर हंसना है
ख़ुद पर हंसता हूं तो 'उसको' मेरी याद आती है।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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