Popular Posts

Total Pageviews

Tuesday, December 8, 2020

चवांगतुसे

एक फ़क़ीर था, नाम था चवांगतुसे 
रात में गुज़रता था , कबरिस्तान से
अंधेरा था, कुछ टकरा गया पांव से
इंसानी खोपड़ी थी,टकराया जिससे
खोपड़ी लेकर घर आ गया, साथ में
हर लम्हे, खोपड़ी रखता था पास में।

शागिर्द ने पूछा पास रखने का, सबब
कहा,इससे मिलता है सब्र का°मशरब ° सागर
गुस्सा हो, कहता हूं अपनी खोपड़ी से
गुरूर न कर, तुझे भी मिलेगा ये°तअब ° चोट
कोई पत्थर मारे, कहता फ़िक्र ना कर
आगे या पीछे, हश्र तो ये रहेगा होकर।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

No comments:

Post a Comment