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Tuesday, April 27, 2021

हुआ करे

आज बद्र का चाँद है, वह भी चैत का, हुआ करे
सभी कहते हैं, बड़ा ख़ूबसूरत होता है, हुआ करे।

कोई इससे मेरी क़ुर्ब निकाल के ख़ुश है, हुआ करे
बक़ौले नुजूमी ये मेरी यौम ए पैदाइश है, हुआ करे।

बहुत उड़ती थीं ख़्वाहिशें हवाओं में, आसमानों में
मैंने उनके पर कतर दिए हैं, नाराज़ हैं, हुआ करें।

बहुत कुछ होता रहता है यहाँ, हर वक्त, हुआ करे
रातें अगरचे  तवील वा ख़ुर्द  होती हैं , हुआ  करें।

हाथ की लकीरें भी बोलती हैं, ऐसा लोग कहते हैं
आँखें भी राज़ छुपाने में माहिर होती हैं, हुआ करें।

बेताब रहते थे सुनने सुनाने को, अफ़साने, हरदम
मुहब्बत करने में भी तक़लीफ़ होती है, हुआ करे।

रूठना ज़रूरी है शायद, मन तरसता है कई बार
मनाने वाला तो है नहीं, हश्र जो होगा, हुआ करे।

यहाँ तो अना की भी जंग न थी, मगर जुदाई हो गई
हाँ मौत ने यह बता दिया वो क्या चीज़ है, हुआ करे।

बद्र=पूनम का चाँद। क़ुर्ब=नज़दीकी रिश्ता।
बकौले नुजूमी=ज्योतिषी के मुताबिक।
यौम ए पैदाइश=सालगिरह। तवील वा ख़ुर्द= लम्बा या छोटा।
हश्र=परिणाम। अना=ego.

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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