Popular Posts

Total Pageviews

65177

Friday, May 14, 2021

भूल गये

वो आये हमसे मिलने को, हम बातें करना भूल गए
गले लगाना भूल गए , हम मुस्काना भी भूल गए।

एक नन्हीं चिड़िया आई थी, गीत सुना, परवाज़ हुई
उसके ख़ुशरंग में खोकर हम, हाथ हिलाना भूल गए।

दूज का चांद भी आया था, भोली सी मुस्कान लिए
वो शर्म के मारे भाग गया, या शीशनमन, हम भूल गए।

एक कोयल उड़ के आई है, डाली पर आकर बैठी है
वह गीत सुनाना भूल गई, याहम, उसे मनाना भूल गए।

आज तृतीया आई है, फ़िर अक्षय पात्र को साथ लिए
रिक्त कर दिया पात्र मगर, एक अक्षत को हम भूल गए।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

No comments:

Post a Comment