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Saturday, May 15, 2021

बोकूजू

एक बार एक ज़ेन फ़क़ीर थे, नाम था बोकूजू
कुछ लोगों के लिए मगर वो थे महज़, जूजू।

वो कभी कभी चिल्लाते थे, बोकूजू! बोकूजू!
फ़िर ख़ुद ही जवाब देते : हाँ, यहीं है बोकूजू।

किसी ने पूछा: आप क्यों चिल्लाते हैं, बोकूजू?
जवाब मिला: मुझे हर वक्त है अपनी जुस्तजू।

फ़िर बोले: अकेलापन सताने लगता है उसको
जो नहीं रखता है हरदम, ख़ुद को आजू-बाजू।

ख़ुद से क़राबत बनाये रखना है इंतिहाई लाज़िमी
अगर जो दिल में बसा रखी है बसीरत की आरजू।

जूजू= हौआ। क़राबत= निकटता। जुस्तजू= तलाश।
बसीरत= insight.

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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