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Thursday, May 20, 2021

मिल गई

गरमी के मौसम में बरसात आ गई
इतना बरसा कि हर शाख धुल गई।

बारिश में परिंदों के पर गीले हो गए
आज पंख सुखाने को धूप खिल गई।

हर तरफ़ में चहचहाहट होने लग गई
हवा में उड़ने की छूट, फ़िर मिल गई।
 
कोयल है गा रही, ज़िंदादिली के साथ
लगता है गले को, नई ताकत मिल गई।

दो दिन की बिना मांगी बंदिश के बाद
इन्सान को गरमी से, राहत मिल गई।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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