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Wednesday, July 7, 2021

ठीक है

लोग वफ़ात से घबराते हैं , ठीक है
अज़ल से घबराते आये हैं, ठीक है।

जो मखनी हैं या फ़िर  मिस्कीन हैं 
जो दबे हुए हैं, उनके लिए ठीक है।

मगर उनके लिए जो तवंगर या फ़िर
तनावर हैं, क्या उनके लिए ठीक है?  

ये कहते हैं इन्हें किसी का ख़ौफ़ नहीं
हाँ, मौत का भी नहीं, है न ? ठीक है?

क्या मौत से कह सकते हैं , तुम ग़ैर हो
तुम्हारी जगह तो कहीं और है, ठीक है? 

साहिब, मौत किसी को नहीं बख़्शती है
मौत के आगे सब कोई बौने हैं, ठीक है?

अगर जो एकसा हश्र है तो क्यों न बोलें
आओ, मिलकर जीऐं हम तुम, ठीक है?

वफ़ात= मृत्यु। अज़ल= प्रारंभ से।
मखनी= बलहीन। मिस्कीन= धनहीन।
तवंगर= धनवान। तनावर= बलवान।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।     ं 

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